सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) की जीवनी | Wikipedia, Biography in Hindi
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क्यों है चर्चा में?
सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) भारतीय मूल की कवित्री थी. इनकी सबसे पैरिश कविता झाँसी की रानी पर थी.
इनके 117वे जन्मदिन को मानाने के लिए गूगल ने डूडल के रूप में इन्हे सम्मानित किया है.
इन्हे सम्मान देने के लिए भारतीय तटरक्षक जहाज का नाम भी इनके नाम पर रखा गया है. और मध्य प्रदेश सर्कार ने इनकी प्रतिमा जबलपुर के मुन्सिपल कोर्पोरशन ऑफिस के बाहर लगा राखी है.
ट्विटर पर भी इन्हे कई बड़ी हस्तियों ने ट्वीट कर इन्हे सन्मान दिया.
Remembering great poetess & Freedom Fighter, Smt. #SubhadraKumariChauhan ji on her birth anniversary.
— Lok Sabha Speaker (@loksabhaspeaker) August 16, 2020
Her patriotic poems sensitized and awakened the people. In her classic poem on Queen Laxmibai, she highlighted role of women in the freedom struggle.
My Humble tributes! pic.twitter.com/6054B8jejL
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सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) कौन है?
16 अगस्त, 1904 को जन्मी सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) का जनम अलाहबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ. इन्होने अल्लाहाबाद के ही लड़कियों के स्कूल से अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त की.
1919 में अपनी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इनका विवाह ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ हो गया. उस समय इनकी उम्र मात्र 16 वर्ष थी. इस विवाह से इन्हे 5 बचे भी हुए.
1921 में इनके पति Mahatma Gandhi’s Non-Cooperation Movement के साथ जुड़ गए और ये अंग्रेजी राज में जेल जाने वाली पहेली महिला बनी. इन्हे अंग्रेज़ों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए दो बार जेल भी जाना पड़ा.
कार दुर्घटना की वजह से 1948 में इनकी मृत्यु हो गयी.
सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) – जीवनी | बायोग्राफी | विकिपीडिया
पूरा नाम | सुभद्रा कुमारी चौहान |
जन्म तिथि | 16 अगस्त, 1904 |
जन्मस्थान | अल्लाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु तिथि | 15 फेब्रुअरी, 1948 |
पेशा | कवित्री |
विकिपीडिया | https://en.wikipedia.org/wiki/Subhadra_Kumari_Chauhan |
पार्टनर | ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान |
कवित्री करियर
इन्होने हिंदी भाषा में कई कवितायें लिखी. इनकी सबसे प्रसिद्ध कविता झाँसी की रानी के जीवन के बारे में है. हम सब ने इनकी कविता जरूर सुनी होगी जो की इस प्रकार है –
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
इनकी कविताओं से देश के नौजवान आज़ादी की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित होते थे. वह बहुत ही सरल भाषा में कवितायें लिखा करती थी.